Class 11 History Chapter 3 Notes in Hindi Pdf Free 2023

आज का लेख Class 11 के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा जो कक्षा 10 पास करके क्लास 11 में प्रवेश किए हैं और हिस्ट्री सब्जेक्ट सिलेक्ट किए हैं ऐसे विद्यार्थियों के लिए हम इस लेख में Class 11 History Chapter 3 Notes in Hindi Pdf फाइल प्रदान कर रहे हैं इस Pdf फाइल के माध्यम से छात्र कक्षा 11 के चैप्टर 3 की पूरी जानकारी ले पाएंगे और आने वाले परीक्षा में चैप्टर 3 से रिलेटेड सभी प्रश्नों के उत्तर दे पाएंगे।

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Class 11 History Chapter 3 Notes in Hindi Pdf Free 2023

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अगर छात्र पीडीएफ फाइल से पढ़ाई करते हैं तो चैप्टर 3 की पूरी तरह से उनको जानकारी मिल जाएगी और चैप्टर 3 की पूरी जानकारी मिलने के कारण जब परीक्षा में चैप्टर 3 से संबंधित जो भी प्रश्न आएंगे धरती उन प्रश्नों का सफलतापूर्वक उत्तर दे पाएंगे।

कक्षा 11 के तीसरे चैप्टर का नाम तीन महाद्वीपों में फैला साम्राज्य है इस चैप्टर में तीनों साम्राज्य से संबंधित जानकारी बताई गई है जो इस लेख में पीडीएफ फाइल के माध्यम से विस्तार पूर्वक विद्यार्थियों को बताने की तरह की गई है।

इस पीडीएफ फाइल को इतिहास के अध्यापकों ने बहुत ही लगन और गहन मेहनत करके बनाया है इतिहास एक ऐसा सब्जेक्ट है इसमें विद्यार्थियों को किसी भी चैप्टर को पढ़ने से पहले उसकी शुरुआती जानकारी होना बहुत आवश्यक है और इस पल डी एफ फाइल में इन सभी बातों का बारीकी से ध्यान रखा गया है।

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मध्ययुगीन भारत में सामंतवाद:-

अगर हम सामंतवाद शब्द की बात करें तो यह यूरोप और एशिया के मध्य की में प्रचलित प्रणाली थी और भारत में सामंतवाद का उदय आठवीं और बारहवीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ था।

सामंतवाद एक ऐसी शासनकाल प्रणाली थी जिसमें राजा या सम्राट सिर स्पर्श हुआ करते थे और फिर आ जाओ या सम्राटों के बाद अमीर लोगों का और प्रभु का उसके बाद किसानों का स्थान आया करता था।

सामंतवाद प्रणाली के तहत भारत में राजा और सम्राट बड़े बड़े जमींदारों और रईसों को अपनी जमीन दिया करते थे जिसके बदले में वह इनसे कुछ कर लिया करते थे।

बड़े-बड़े रायचूर जमीदार ही जमीन को छोटे किसानों को दे दिया करनी चाहिए और छोटे किसान इस जमीन पर काम करके जो भी फसल आना जाते थे उसका आधा हिस्सा जमीदार को दे दिया करते थे।

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सामंतवाद के दौरान सामाजिक और आर्थिक जीवन:-

अगर मैं बात करें कि मनुष्यों का सामंतवाद के दौरान सामाजिक और आर्थिक जीवन कैसा हुआ करता था तो हमको यह जानना हो कि समाज को उनके व्यवसाय और सामाजिक स्थिति के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांट दिया गया था।

सबसे ऊंचे वर्ग में ब्राह्मण और पंडित पुजारी आया करते थे उसके बाद क्षत्रिय वैश्य इसे योद्धा व्यापारी कहते हैं और इस सामंतवाद के दौरान इस बार में सबसे नीचे शूद्र या कारीगर और मजदूर थे।

जिन से यह लोग पशुओं का जैसा व्यवहार करते थे शूद्र को यानी कि अछूतों को जाति व्यवस्था के बाहर माना जाता था यह लोग जाति व्यवस्था के अंदर आते तो थे लेकिन सबसे निचले पायदान पर उनके साथ बहुत ही गलत और छुआछूत का व्यवहार किया जाता था।

सामंतवाद के दौरान अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर थी इस समय के लोगों का व्यवसाय ज्यादातर कृषि हुआ करता था और जिस समय के लोग भूमि से यानी कि कृषि से धन कमाते थे।

किसान यानी कि शूद्र लोग जमीन पर काम किया करते थे और इस में ऊपर आने वाले क्षत्रिय व्यापारी लोगों को अपनी उपज का एक हिस्सा इनको फ्री में दे दिया करते थे इसके बदले में किसानों को सुरक्षा प्रदान कराई जाती थी और उनका ख्याल भी रखा जाता था।

सामंती भारत में जाति व्यवस्था:-

भारत में सामंतवाद के दौरान जाति व्यवस्था अपने चरम सीमा पर चल रही थी इस दौरान जाति व्यवस्था के दौरान समाज को उनके व्यवसाय और सामाजिक स्थिति के आधार पर भिन्न-भिन्न वर्गों में विभाजित कर दिया था जिसमें सबसे ऊंचा वर्ग ब्राह्मणों का या पंडित पुजारियों का हुआ करता था।

उसके बाद दूसरे और तीसरे पायदान पर क्षत्रिय और वैश्य को रखा जाता था जिसमें क्षत्रिय का काम योद्धा यानी कि युद्ध करना हुआ करता था और वैश्य का काम व्यवसाय यानी कि व्यापारी का काम करना होता था।

इस तरह यह तीनों पर शूद्र से ऊंचे पायदान पर आते थे शूद्र को जाति व्यवस्था से बाहर रखा जाता था और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था शूद्रों का काम खेती किसानी करना और उसे वर्ग के लोगों का घर की साफ सफाई और उनके पशुओं को चारा खिलाना उनकी मजदूरी करना हुआ करता था।

सामंतवाद के दौरान जाति व्यवस्था को इस तरह से प्रस्तुत किया गया था कि पुजारी को बेटे को पुजारी ही बनाया जाता था और सत्य के बेटे को शक्ति है और किसान के बेटे को किसानी बनना हुआ करता था इस तरह जाति व्यवस्था अंतर जाति विवाह विभिन्न जातियों की बातचीत को प्रतिबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध होती चली गई।

सामंतवाद के तहत भूमि का स्वामित्व:-

जब सामंतवाद का समय चल रहा था तो उस समय सारी भूमि बड़े-बड़े जमीदारों और रही सो के सानिध्य में थी राजा महाराजा अपनी जमीन बड़े बड़े जमींदारों और रईसों को दिया करते थे।

जमीदार इस जमीन को किसानों को दे दिया करते थे किसान इस जमीन पर काम करते थे और फसल का उपज करते थे और इसके बदले फसल का एक हिस्सा किसान जमीदारों को दे दिया करते थे।

जो लगान के रूप में हुआ करता था इस तरह सामंतवाद के समय जमीन का स्वामित्व बड़े-बड़े जमीदारों का ही हुआ करता था छोटे-छोटे किसान यानी कि सूत्र वर्ग के लोग उनका जमीन पर कोई भी स्वामित्व नहीं हुआ करता था वह सिर्फफसल की उपज कमाने के लिए जमीन पर काम करते थे।

भारत में सामंतवाद का पतन:-

भारत में सामंतवाद का उदय आठवीं और 12वीं शताब्दी में तो हुआ था लेकिन फिर भी और चौधरी सताब्दी आते-आते सामंतवाद का पतन हो गया था।

इस पतन का मुख्य कारण कृषि उत्पादन में भारी मात्रा में कमी आना था और इसके साथ-साथ इसके और भी कई बड़े कारण थे जिनमें से शक्तिशाली राजाओं का उदय होना और व्यापार में विकास और ने व्यापारियों का उदय होना जिन्होंने आगे चलकर सामंतवादी प्रभु को भारी चुनौती दी।

मुख्य रूप से कृषि के पतन के कारण खदान में भारी कमी आने लगी जिससे कि जमीदारों को किसानों से कर वसूलने में बहुत ज्यादा मुश्किल होने लगी और धीरे-धीरे शक्तिशाली राज्यों का उदय होता गया जिसके कारण भी सामंतवाद को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

शक्तिशाली राज्यों का उदय होने के कारण शक्तिशाली राजाओं ने अपनी शक्ति को मजबूत किया और सामंतवाद की शक्ति को कमजोर कर दिया इस कारण भारत में तेल भी और चौधरी सताब्दी आते-आते सामंतवाद का पतन होता चला गया।

Conclusion:-

आज के इस लेख में हमने छात्रों को कक्षा 11 का इतिहास चैप्टर 3 सामंतवाद और भारतीय साम्राज्य पर इसके प्रभाव आदि को गहनता से समझाने का प्रयास किया है, इस लेख में हमने सामंतवाद अध्याय को समझने के लिए Class 11 History Chapter 3 Notes in Hindi pdf फाइल प्रदान कराई है।

इस फाइल में छात्रों को सामंतवाद की परिभाषा इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव सामंतवाद की शुरुआत और उसका पतन कैसे हुआ इस के पतन के क्या क्या कारण थे सामंतवाद के दौरान भारतीय समाज का ऐतिहासिक विकास कैसे हुआ और आज की आधुनिक दुनिया पर इसके अभी भी क्या प्रभाव पड़ रहे हैं इस बारे में पूर्ण रूप से जानकारी साझा की है।

अगर विद्यार्थी पीडीएफ फाइल को मन लगाकर गहनता से अध्ययन करते हैं तो विद्यार्थियों को कक्षा 11 के अध्याय 3 सामंतवाद का पूर्ण रूप से अवलोकन हो जाएगा और विद्यार्थी कक्षा 11 की परीक्षा में इस अध्याय से संबंधित सभी प्रश्नों का हल कर पाएंगे।

विद्यार्थियों से आता है कि आज का यह लेख जिसमें हमने Class 11 History Chapter 3 Notes in Hindi pdf फाइल प्रदान कराई है, छात्रों को कैसा लगा इस बारे में इस लेख के नीचे कमेंट बॉक्स में अपना फीडबैक जरूर दें। धन्यवाद!

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SK Singhaniya
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